सूक्ष्मजीवविज्ञान

विभागाध्यक्ष : प्रो. नवीन कानगो
संपर्क विवरण : 09425635736
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विभाग का संक्षिप्त परिचय :
वनस्पति विज्ञान विभाग के माइक्रोबायोलॉजी और माइकोलॉजी प्रयोगशाला में किए गए अग्रणी कार्य ने डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी में एक पूर्ण पाठ्यक्रम शुरू करने की दृष्टि को जन्म दिया। इस विचार की कल्पना संस्थापक अध्यक्ष प्रो. एस.सी. अग्रवाल (अध्यक्ष 1996-2004) ने की थी, जिसके परिणामस्वरूप 1990-91 में जीवन विज्ञान संकाय में बहुप्रतीक्षित स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई।
प्रो. पी.सी. जैन (अध्यक्ष: 2004-2012) के कुशल निर्देशन, अथक प्रयासों एवं समर्पण के कारण ही विभाग वर्तमान स्थिति को प्राप्त कर सका। तब से विभाग सूक्ष्म जीव विज्ञान और संबद्ध क्षेत्रों में शिक्षण और अनुसंधान में अग्रणी विभागों में से एक है और क्षेत्र में प्रमुख स्थान रखता है। अपनी स्थापना के बाद से, विभाग ने उच्चतर शिक्षा के केन्द्र के रूप में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के मामले में काफी विस्तार देखा है। वर्ष 2009 में, हमारे विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के साथ ही विभाग का नाम बदलकर सूक्ष्म-जीवविज्ञान(माइक्रोबायोलॉजी) विभाग कर दिया गया और इसे जैव-विज्ञान अध्ययनशाला (स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज) का एक हिस्सा बना दिया गया।
इस विभाग के संकाय सदस्यों ने प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पूर्व-समीक्षित वैज्ञानिक पत्रिकाओं में बड़ी संख्या में प्रकाशन किए हैं। अतीत में विभाग ने कई व्यावहारिक कार्यशालाओं, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का भी आयोजन किया है। सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग में सूक्ष्म जीवविज्ञान के बुनियादी और अनुप्रयुक्त दोनों क्षेत्रों में अनुसंधान किया जा रहा है। अंतरविषयी अनुसंधान की ओर झुकाव के साथ, विभाग के संकाय सदस्यों ने विश्वविद्यालय के भीतर और बाहर सक्रिय सहयोग हेतु सहकारिता स्थापित की है।
प्रमुख अनुसंधान क्षेत्रों में सूक्ष्मजैवीय एन्जायम्स व उनके अनुप्रयोग, माइक्रोबियल ग्लाइकोसिडेस, एल-एस्परगिनेज, थर्मोफिलिक कवक, एंटरिक बैक्टीरिया, बायोफिल्म, कैंसर, बायोसेंसर संबंधी अनुसंधान में पशु मॉडल के रूप में जेब्राफिश के अनुप्रयोग शामिल हैं।


